#################################################### MUKTABODHA INDOLOGICAL RESEARCH INSTITUTE Use of this material (e-texts) is covered by Creative Commons license BY-NC 4.0 Catalog number: M00546 Uniform title: kāmeśvarīpūjā Manuscript : NGMCP manuscript 5-397 Reel No: A 49/2 Description: Ritual manual Notes: Manuscript selected by Dr. Mark S.G. Dyczkowski and data-entered by the staff of Muktabodha under the supervision of Dr. Anirban Dash. Revision 0: Sept. 25, 2021 Internet publisher : Muktabodha Indological Research Institute Publication year : Publication city : Publication country : United States #################################################### प्. १अ) ओं प्रजापतये नमः | ओं पृथिव्यै नमः | ओं पुरुराजाय नमः | ओं अग्नये नमः | ओं श्रिये नमः | नैवेद्यन्दत्वा || ओं जू सः वोपहत अन्नपरसन | ओं अंत्तश्च | विकृतेषुः गुहा विस्वतो मुख्यं त्वं ब्रह्मत्वं विष्णुत्वं रुद्रत्वं स्वाहा | त्वं वषट्कार त्वमनादि आयोज्योतिरसो मृतो स्वाहा || ओं प्राणाय स्वाह ओं शुपानीय स्वाहा ओं समानाय स्वाहा ओं उदानाय स्वाहा व्यानाय स्वाहा || पण्चग्रामः || ओं अमृतोपस्तरणमशि जलम्पीत्वा | ओं अमृतोपरो नमसि | भुक्तसेखं जलान्धं क्षपेत् || ऐं ह्रीं श्रीं वज्रेश्वरी वज्रपंजरमध्यगते ह्रीं क्रीं ऐं ऐं क्रीं नित्यमदन वज्रे रज नित्याये नमः || ह्रीं भुवनेश्वरी स ध्वजनं मेवस्य मानय स्वाहा || मुख प्रक्षालनः || रोचनालोध्रसहितं विप्पल्याथ मनशिनाः | अश्वलाला समायुक्तं प्. १ब्) तिलकं विश्वमोहनम् || ओं ह्रीं क्लीं ब्लीं सः पौत्रे जन्मे भगवती सवजनं मेवस्य मानय स्वाहा || अक्षत जप्य तिलकः || ऐं क्लीं सौंः वागेश्वरी? पाद? पूजयामि? | ओं ह्रें श्रों ह्रीं श्रीं देवीपुत्र वटुकनाथ कपिलटाभार भाशुर ज्वालामुखे त्रिनेत्रे बलिं गृह्न २ स्वाहा || ओं हां आ * * * * * * * *? विद्यातत्वाय स्वाहा | ओं हूं शिवतत्वाय स्वाहा || ओं हः अस्त्राय फट् | ओं अस्त्रायय फट् ६ ओं हां हृदयाय नमः ओं ह्रीं शिरसे स्वाहा || ओं हूं *? षायै वषट् | ओं हं कवचाय हुं | ओं हौं नेत्रात्रयाय वोषट् | ओं अस्त्राय फट् || करं न्यश | अंगं न्याश || ओं हां हीं हूं हैं * * * * * *? ओं हें कवचाय ओं | अवगुण्ठ || ओं हः अस्त्राय फट् रक्षा | ओं हौं शक्तये वोषट् || ध्येनुमुद्रां | ओं हों शिवाय वोषट् | हां हृदयाय * * *? प्. २अ) षट् | ओं हुं शिखायै वौषट् | हें कवचाय वौषट् | ओं हः अस्त्राय वौषट् || ओं हें कवचाय हूं | लंखनथवह्नंहाये || ओं स १२ रेचक हं १२ पूरक १२ ओं यं १२ कुम्भक | रेचक पूरक कुम्भक | ओं रं १२ रेचक पूरक कुम्भकः || ओं वं १६ रक्तभुषावरारो रक्त जटा *? ज्ञापनीतिनी | हस पद्मासना वाला चतुवक्त्रा चतुर्भुजा श्रुगीक्ष मालिना दक्षे वामे तुण्ड कमण्डलुं ब्रह्मानीकाष्टादशमं ध्याये प्रीकस्थे रक्तावरे | ध्यान || ओं हां हृदयाय नमः जलमादाय वामहस्ते ३ ओं हा ही हृं हों हों हः तजल एव यत्नेन अ ओं हें कवचाय हूं रक्षज्ववर्य | ओं हः अस्त्राय फट् रक्ष्या || ओं हां हों शिवाय वोषट् | ओं ह्रं हृदयाय वोषट् ओं ह्रीं शिरसे वोषट् प्. २ब्) खायै वौषट् | ओं हें कवचाय वोषट् ओं ह्रः अस्त्राय वौषट् स्वयं भिषेच्य || सेषजरलासतेनं? ओषायै खवविनं || मूलमन्त्रन त्रियं * *? गायित्री जाप्य || ओं तन्महेशाय विद्महे वाग्विशुद्धाय धीमहे तंनो शिव प्रचोदयात् || ओं हां हृदयाय स्वाहा || ओं हां * *? से स्वाहा | ओं हूं शिखायै स्वाहा | ओं हें कवचाय स्वाहा | ओं हों नेत्रत्रयाय स्वाहा | ओं हः अस्त्राय स्वाहा | ओं आदित्येभ्यः स्वाहा? | ओं वशुभ्यः स्वाहा | ओं भृगुभ्यः स्वाहा | ओं विस्वेभ्यः स्वाहा | ओं माध्येभ्यः स्वाहा | ओं मरुद्भ्य स्वाहा | ओं भृगुभ्य ओं अंगिरेभ्य स्वाहा || एतन्देवगणा || देवतीर्थतपन || जोनीगणसखासन || ओं अत्रये स्वाहा | वशिष्ठाय स्वाहा | पुलस्तये स्वाहा भृगवे प्. ३अ) स्वाहा भरद्वाजाय स्वाहा विश्वामित्राय स्वाहा प्रचेतसे स्वाहा || एत अंगुलिप्रर्व्वन || ओं सनकाय स्वाहा | ओं शुनन्दाय स्वाहा *? नातनाय स्वाहा | कपिलाय स्वाहा चासुराय स्वाहा | ओं चोढाय वषट् पण्च शिखाय वषट् | ध्वज? मानव || भीम? सप्तमनुष्य | सर्व्वेभ्यो भूतेभ्यो भूतेभ्यो वोषट् | सर्व्वेभ्यो पिशाचेभ्यो वौषट् | सर्व्वेभ्यो राक्षसेभ्यो वोषत् सर्व्वेभ्यो नागेभ्यो वोषट् || छूते करमूलनः || थ्वलिवलाकोह्नस्ये | कुसतिलवारिणा | ओं कव्यरालाय स्वः || ओं * *? लास्व स्वाहा | ओं सोमाय स्वधा | ओं यमाय स्वधा | अन्यमानाय स्वधा | ओं अग्निष्ठाय स्वा | ओं वहि षष्ठ्य? स्वधा | ओं आज्ञय? प्. ३ब्) स्वधा || घृते देव पितर आत्मान तर्प्पण || ओं पितृभ्य स्वधा | ओं पितामहेभ्य स्वधा | ओं प्रपितामहेभ्यः स्वधा | ओं मातृभ्यः स्वधा | ओं प्रमाताभ्य स्वधा | ओं प्रमातामहेभ्य स्वधा | ओं वृद्धप्रमातामहेभ्यः स्वधा | सर्व्वेभ्यः पितृभ्य स्वधा | सर्व्वेभ्यो मातृभ्य स्वधा | सर्व्वे * * * गोत्रेभ्यो स्वधा || ओं आत्मातत्वाय स्वधा | ओं ह्रीं विद्यातत्वाय स्वधा | ओं हूं शिवतत्वाय स्वधा | आचम्म्य || ओं ह्रां ह्रीं सं सूर्याय नमः | ओं ग्लूं गणपतये नमः || ओं हां हौं शिवाय नमः || ओं जुं सः मृत्युजयाय वौषट् | ओं जुं सः अमृत म *? वौषट् || ओं जुं स अमृतीश्वरभैरवाय नमः | ओं अघोरे हां थघोरे घोरतर हें सव्वतः सर्व्व सर्व्वे हें हो जुं सः नमस्ते रुद्ररूपे ह्रः हूं स्वच्छ महाभैरवाय नमः | प्. ४अ) ओं ह्रीं अघोरेश्वरी हूं फट् || ओं ह्रौं स महादुर्ग्गे भगवती चण्डी कात्यायनी नम || एतत्मूलमन्त्र || तन् महेशाय विद्महे वाग्विशुद्धाय धीमहे तन्न शिव प्रचोदयात् || गायित्री || ऐं ह्रीं देविपुत्र वटुकनाथ कपिलजटाभारसाशुर ज्वालामुख त्रिनेत्र इमां बलिं पूजा गृह्न २ हूं फट् स्वाहा || वटु | ओं जुं सः सर्व्वभूताये विविद्व्यकारादि विभूच्य?न्तक्षस्थिता पाताले संस्थिताये *? ते तृप्यं तु बलिकर्म्मना || भूत || ओं गां गीं गुं गें गों गः गणपतये बलिं गृह्न २ स्वाहा | ओं क्षां क्षीं क्षूं क्षें क्षौं क्षः स्वस्थान क्षेत्रपालाय बलि गृह्न २ स्वाहा || ओं ऐं श्रीगुरुपादुकां पूजयामि | ह्लीं अस्त्राय फट् क्लीं? हृदयाय नमः ह्लीं? शिरसे स्वाहा | ह्क्लीं शिखायै वौषट् | ह्क्लीं कवचाय हूं ह्क्लीं नेत्रत्रया वौषट् || प्. ४ब्) ध्यान || रक्तवर्ण जटा मकुट अर्द्देन्दु कृतसेषर | चतुभुज एककज्र? पाशांकुश वामकं * * * *? दक्षिणे | रक्तपद्मासन ध्याये *? | ह्क्लीं वामेश्वरी श्रीपादुकां पूजयामि || थ्वन थवके सोह्नं || चेत स्वान थ्व मन्त्रन बलिविये धूप दी नैवेद्य नमः | र अत्र मंत्रण * * *? र्जन | हृदयन संहार || ओं नमः शिवाय || करं न्याश अन्ग न्यास || वद्ध? द्वयो? स पूजायाय || ओं हां शिवाश्नाय नम ओं हां हं *? शिवमूर्त्तये नमः ओं ह्रिं विद्यादेवाय नमः | ओं हां हृदयाय नमः ओं हीं शिरसे स्वाहा | ओं हूं शिखाये नमः ओं हं कवचाय नमः ओं * *? अस्त्राय फट् || पूजाश्चन || ओं हां हृदयाय नम | लं ख्व?कायारोद्रं स्वंशै? | कवचेन वेष्ट्य | अस्वनरक्षा | ओं हः अस्त्राय फट् || अर्घपात्र पूजयामि? प्. ५अ) ओं हां हृदयाय नमः | थ्वमन्त्रन लंष्वथं? ९ || ओं १० अर्घपात्र जाप || देवस्नान || सूर्यपूजाया विष्णुपूजा | न्यास | द्वारपूजा || ओं हां गणपतये नमः ओं हां शरश्वती नमः | ओं हां महालक्ष्मी नमः मध्ये ओं हां नन्दिने नमः ओं गणपतये नमः | दक्षिण | उत्तरत | ओं हां महाकालाय नमः ओं हां यमुना | हः अस्त्राय फट् || स्नान घटेये || ओं हः अस्त्राय फट् द्वारदात स्नानते || ओं वाग्वधिपतये ब्रह्मणे नमः || द्वारदक्षिण ओं हां गणपतये नम || गणपाटासते | ओं हां गुरूभ्यो नमः गुरूपाटास्ते || ओं हां आद्वारसक्तये नम आत्मासन || प्राणायाम कृत्वा | न्यासं | अर्घपात्रपूजा || जलपात्रमन्त्रन् || चन्दनः अक्षत | ओं हरवाय नमः | कवचेन वेष्ट्य || महामुद्रा || आत्मानम्पूज० | तह्मं? द्वष्टं? या? * प्. ५ब्) चन्दन अक्षतनतेये | ओं हाअं गणपतये नमः ओं गुरुभ्यो नमः ओं हां आधारशक्तये नमः ओं हां अनन्तासनाय नमः ओं हां धर्माय नमः ओं हां ज्ञानाय नमः ओं हां वैराज्ञाय नमः ओं हां ईश्वर्याय नमः ओं हां अधर्माय नमः ओं हां अज्ञानाय नमः ओं अवैराज्ञाय नमः ओं हा अनैश्वर्याय नमः ओं हां अधछन्दाय नमः ओं हां ऊर्धच्छादाय नमः || मूलथान || ओं हां पद्मास्नाय नमः हां पद्माय नमः ओं हां कर्णिकाय नमः ओं हां वामाय नमः ओं हां ज्येष्ठाय नमः ओं हां रौद्री नमः ओं हां काल्यै नमः हां कलविकल्लो नमः | ओं हां बलप्रमथमंन्यै नमः ओं हां सर्व्वकृतदयान्यै नमः ओं हा मनोन्मनी नमः || अष्ठबली || ओं हं सूर्यमण्डला नमः हां सोममण्डला न प्. ६अ) ओं वह्निमण्डलाय नमः ओं हां शिवास्नाय नमः || ध्यान || ओं तत्र शिंहासनो देवः सुद्धस्फटिक संनिभं | पञ्चास्य दशदोर्डण्ड प्रतिवक्त्र त्रिलोचन || जटा मकुट सोभाढ्यं स्फुरच्चन्द्रार्द्धसेखरं | शक्ति तृशूल षट्वान्ग वरव्यग्रकरांबुज || दक्षिनोथ वामस्थ डमरुं बीजपूरगं | नागाक्षशूत्रनीलाक्षं विभ्रानं पण्चभि करैः || द्वात्रिंशलक्षणोपेतः वद्ध पद्मास्नस्थितं | सदाशिवं न्यसेत् मुर्त्तिशैवी सक्त्यान्त गोचरां | ओं हां हां हां शिवमूर्त्तये नमः || आवाहनादि स्थितहा शिवाअय नमः | पाद्य आचरमन | चन्दनक्षत पुष्प धूप दीप नैवेद्य हां हं हां शिवमूर्त्तये नमः ओं हं विधादेहाय नमः ओं हां हौं शिवाय नमः ओं हां हृदयाय नमः हृदयादि पूजा || मूलेण त्रिञ्जलि ३ || प्. ६ब्) मूलमन्त्रेण पंचोपचार जाप्य घंटादि वाद्यं गोत्रं | मुद्रया विशर्यनं || ओं आधारशक्ति कमलासनाय नमः | आत्मासनं प्राणायामं | ऐं ह्क्लीं अस्त्राय फट् ऐं ह्क्लीं हृदयाय नम | ऐं ह्क्लीं शिरसे स्वाहाः ऐं ह ह्क्लीं शिखायै वोषट् | ऐं क्क्लीं कवचाय हूंः ऐं क्लीं नेत्रत्रयाय वोषट् ऐं ह्क्लीं अस्त्राय फट् | थ्वन करं न्यास अन्ग न्यासः अर्घपात्रं स्थाप्य || हसक्षमलवरयूं सः सः आनन्दभैरवाय वषट् | ग्लूं म्लूं प्लूं स्लूं न्लूं हृदयादि मूलमन्त्रन अर्घपात्रपूजा | ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं कामेश्वरी पादुकां पूजयामि | एव मन्त्रेन स्वशिरं पूज्य || चक्रं पूज्य | कामेश्वरी आसनं नमः कामेश्वरी मूर्त्तये नमः || ध्यायेत् || रक्तवर्ण जटामुकुट अर्द्धेन्दु सेखरः चतुभुज एकवक्त्र पाशांकुशधरा वामे कंबूसूत्रण्च दक्षिणे रक्तपद्मासनां || प्. ७अ) आवाह स्थापनः हृदयादिपूजा मूलेन | चंदनाक्षत पुष्पः | ऐं नं नंदायै पादुकां पूजयामि | पूर्व्वत || fइगुरे ऐं सं शुभगायै पादुकां पूजयामि | ऐं शिरंक्तायै पादुकां पूजयामि | ऐं रं रत्यै पादुकां पूजयामि | ऐं पं प्रीत्यै पादुकां पूजयामि | ऐं मं मनोभवायै पादुकां पूजयामि | धूप दीप नैवेद्य पुष्प तांबोल तर्प्पणादि मूलमन्त्रेण || बलिं दत्वा | जाप्य | स्तोत्र नमस्कारः मुद्रया विसर्जनः || इत्य कामेश्वरी विधान पूजापटल समाप्तमिति शुभः || प्. ७ब्) ओं श्रीगुरुभ्यो नम || ब्राह्मे मुहूर्त्ते समुचोय || गुरुचरणं नमस्कृत्य कृत सौचाचमन मुखप्रक्षालणं अन्कुसमुद्रया तीथं समावाह्य वाग्भवेन संसोध्य जले निमज्य उचार्य मूलमन्त्रेण कलमुद्रया सप्ताभिक्षिर्याचम्म्य वासं परिधाय सलिलयाग्रै ज्ञल? लरूपं ध्यात्वा | वज्रशिलाया मंत्रेण प्रखिप्य वामकर धृतं सप्तभिमन्त्रितं जलेन सनायेत् | ओं क्षां * सः मार्त्तण्डभैरवाय प्रकाससक्तिसहिताय नमः | मूलमन्त्रेण गुरुं संतलप्य देव रिक्षि पितृ भूत भैरव योगिणी क्षेत्रपालान् तर्प्पयेत् | ओं ऐं ह्रीं श्रीं आदित्तेभ्य स्वाहा ३ ओं रुद्रेभ्य स्वाहा ३ वसुभ्य स्वाहा ३ अन्गिराभ्य स्वाहा ३ मात्रिभ्य प्. ८अ) श्रीवस्था पुरुषस्थण्ड चाण्डालो द्विजवंसयः | न जातिभेदो लिन्गार्च्चने सर्व्वरुद्रं समस्थितः || शिवे जाता कुले धर्म पर्व्व जन्म विवर्ज्जितः | उमा माता पिता रुद्रा ईश्वरा कुलमेव च || माता च पार्व्वती येसां पितायेशा महेस्वरः | जातिभेद कुलस्तेसां दीक्षिता ना शिवा ध्रुति || यस्यच्चित्ते शिवे लीने तस्य जात्याद्धिकं स्मरेः | शिवलिंगेण शिला बुद्धिकुर्वाणीमिव पातकः || गतं सूद्रस्य सूद्रत्वं द्विजत्वं ब्राह्मणस्य च | शिवसंस्थारसंपणं जातिभेदो वकारये || अन्गुष्ठाग्रे अष्ट षष्टि तीर्थानि पादाद्वये सप्तसागरं | दण्डाक्षी द्वयो हस्तं अमूर्त्तनिगजन्गमं || प्. ८ब्) [८अ??? प्लेअसे मत्छ् थे मत्तेर् ओf ७ब् पगे] स्वाहा ३ मायायी स्वाहा ३ भद्रकाल्ये स्वाहा ३ अगस्त्ये स्वाहा ३ सुभंकर्यये स्वाहा * *? कधात्रे स्वाहा ३ वागीश्वर्यै स्वाहा ३ अत्रि वसिष्ट्यादि षषय स्वाहा ३ कव्यवाहनादय स्वाहा ३ पितृ पितामहायाय स्वाहा ३ ओं तिपुरा *? विद्महे क्लीं कामेस्वरि विद्महे सों तंनो क्लिं न प्रचोदयात् | तत शिन्दूर पंकादिना मण्डलमुलिक्ष्म ब्रह्मा विष्णु रूद्रात्मने साराययाय? पीठाय नमः चक्रमुलिक्ष्य सोमादि ग्रहनक्ष्यभ्यर्च्च्य मेखादि द्वादशराशिन्समभ्यर्च्च्य | अस्विन्यादि शप्ताविसनक्षत्रनभ्यर्च्य | प्रतिपदादि पण्चदशतिथये नमः विष्कंभादि योगेभ्यो नमः | ताम्रपात्रं रक्तचन्दन करवीराक्षतः दूर्व्वाशलि प्. ९अ) लैरापूर्य अष्टोत्तरशत मूलमन्त्रेन अर्घं दद्यात् | ततो द्वारपूजा | गां गणपतये नमः वां वटुकभैरवाय नमः दुं दुर्ग्गायी नमः क्षां क्षेत्रपालाय नमः | दहल्या दक्षनामयो ऐं ह्रीं श्रीं कामदेवरत्ये नमः वसंताय प्रीत्यै नमः गां गणपतये नमः सां सरश्वत्ये नमत्चार श्रिये नमः ओं देहल्यै नमः | तत अक्षत कुशमानदाय नाराचाश्त्रेण ३ अपसर्प्प तते भूता? स्कृता? भूविसंस्थिताये भूता विर्घ्नकर्त्तार तेनस्यंतु शिवाग्यया ओं ह्र अस्त्राय फट् पुष्पैकं मण्डल पष्प? तत आशन ३ कालाग्नि रुद्रा नमः आधारशक्तये नमः अनन्ताय नमः कुंर्म्माय नमः पृथिव्यै? नमः वेदिकायै नमः | तत ऐंद्रादि दश प्. ९ब्) ओं आधार सक्तये नमः उरौ स्वी आसनं भूतसुद्धिं विधायः शिन्दूरादिना त्रिकोण अष्टकोण? द्विदश चतुर्द्दशकोनायाष्टदलख्याहुसदल चतुर चतुरद्वारपरिकथ्य? || ३ समस्तगुप्तप्रकटयोगिणीचक्र पादुकेभ्यो नमः | त्रिखण्डमुद्रां कृत्वा पूर्व्व * * * * * * * * *? ऐं ह्रीं क्लीं सौंः त्रिपुरशुन्दरि अमृतार्णवासनाय नमः पादे ३ त्रिपुर शुन्दरि पादाम्बुजासनाय नमः | जानो ३ त्रिपुरशुन्दरिदेव्यात्माशनाय नमः ऐं क्लीं सौंः त्रिपुरवासिनि चन्द्रासनाय नमः | नितंबे ३ त्रिपुरा देवि सर्व्वमात्रासनाय नमः गुदे ह्रीं क्लीं द्देंः त्रिपुरमालिनि साध्यशिधासनाय नमः | श्रीकण्ठादिमात्रिकाम्बा न्यासयेत् | तत ओं ऐं ह्रीं श्रीं आं * वसिनी वाग्देवताये प्. १०अ) नमः | ३ रिं क्ल्ह्रीं कामेस्वरी वाग्देवतायै नमः | ३ ओं रीं म्यव्लीं मोदिनी वाग्देवतायै नमः ३ | ओं यम्लूं विमला वाग्देवतायै नमः ३ स्म्ḻव्युं? अरूणा वाग्देवतायै नमः ३ पं ज्म्व्युं जमिनी वाग्देवतायै नमः ३ यः स्म्व्द्युं सर्व्वेश्वरी वाग्देव्यै नमः ३ शं श्म्व्ल्युं? कौलिनी वाग्देवतायै नमः ३ || ब्रह्मरंध्र ललाट भ्रूमध्य कण्ठ हृदय नाभि गुह्य पाद कटि मूलविद्यया प्रवेसनीय * * * *? नि *? कामगृद्यालये यो कामेश्वरी देवि रुद्रात्मसक्ति श्रीपादुकां पूजयामि | आधारत्रिकोणाष्ट कोनेषुमध्ये बीजमुचार्य सूर्यचक्रे जालंधरपीठे वज्रेस्वरी देवि विष्णुशक्ति श्रीपादुकां पूजयामि | दषिनकोणे त्रितीयः बीजमुचार्य पूर्णगिरि गह्वरे प्. १०ब्) *? मालिणी देवी रूद्रात्मशक्ति श्रीपादुकां पूजयामि | तद्वामकोणे मूलविद्या मुचर्य ब्रह्मचक्रे ऊडियानपीठे महात्रिपुरसुन्दरी देवी परंब्रह्मात्मशक्ति श्रीपादुकां पूजयामि | तन्मध्ये आधार हृदय ब्रह्मरन्ध्रेषु आत्मतत्व त्रयं पूजयेत् | षडा? मुद्रां त्रिष *? मुद्रा | योणिमुद्रां | पद्रस्यं | अर्घपात्रे त्रिकोणं विचिन्त्य तन्मध्ये खडासनानि तदग्रे दक्षवामकोणेषु काम पूजादि देवी त्रय मधो अपर देवताया | न्यासो क्षमन्त्र विक्षुसिरसि त्रिकोणेषु तद्वत्सपूयया कुण्डलनी ध्यात्वा वाह्य पूजामारभेत् | ततो जागमण्डपद्वारे दक्षवामे गणपति क्षेत्रपालो पूजयेत् | षोडसदलात्वे श्रीशिवादि गुरुपंक्ति तत *? शा नाग्ने प्. ११अ) यान्त दलान्तराले | मैत्रीस उडीस षष्ठिस चर्च्चा नाथान् | सप्तम पश्चिमदारभ्य चतुरस्रादि मण्डले आसन षट्कं तदुपरि बालात्रिकूटबीजमुचार्य महात्रिपुरसुन्दरी नमः | तत ध्यानं || अनेन ध्यात्वा त्रिबीजमुचार्य त्रिपुरसुन्दरि महापद्मवनान्तथैकरनानन्दविग्रहे | सर्व्वभूतहिते माते एह्येहि परमेस्वरि || तत आवाहनादि मुद्रां प्रद्रस्य | ऐं ह्रीं श्रीं *? अणिमादिसिद्धि पादुकां पूजयामि | ३ लघिमा सिद्धि ३ इसित्व सिद्धि ३ वसित्वसिद्धि ३ प्राकम्यसिद्धि ३ भुक्तिसिद्धि ३ इच्मसिद्धि ३ वसित्वसिद्धि ३ मोक्षसिद्धि ३ तत ओं ब्रह्माण्यादि पादुकां पूजयामि || ऐं ह्रीं श्रीं संक्ष्योभणीमुद्रां पूजयामि || प्. ११ब्) ३ सर्व्वविद्राविणी ३ सर्व्वाकर्खणी ३ सर्व्ववेषधारिणी ३ सर्व्वोमादिणी ३ सर्व्वमहांकुसा ३ सर्व्वविश्वेस्वरी ३ त्रिखण्डा योणिमुद्रा पद्रस्य || षोडशदले | आकर्खणी नित्याकला कार्मणी नित्या श्रीपादुकां पूजयामि | बुध्याकर्खिणी अहंकाराकर्खिणी सब्दाकर्खिणी स्परसाकर्खिणि रूपाकर्खिणी रसाकर्खिणी गव्वाकर्खिणी लयोकर्खिणी द्विर्याकर्खिणी व्रिव्याकर्खिणी मनाकर्खिणी जीवाकर्खिणी आत्माकर्खिणी अमृताकर्खिणी सरीराकर्खिणी पूर्व्वाण्ड क्रमेण पूजयेत् || वालामुवाज श्रीत्रिपुरसुन्दरी देवी श्रीपादुकां पूजयामि | अष्टपत्रे अनंगकुसुमा देवी श्रीपादुकां पूजयामि अनगमेखला २ अनंगमदना ३ प्. १२अ) अनंगमदनातुरा ४ अनंगरेखा ५ अनंगांकुसा ६ अनंगमालिणी ७ त्रिपुरसुन्दरी देवी श्रीपादुकां पूजयामि ८ || चतुर्द्दसारे वामावर्त्तन पूयया || ऐं ह्रीं श्रीं सर्व्वसंक्षोभनीशक्ति देवी श्रीपादुकां पूजयामि ३ सर्व्वविद्राविणी ३ सर्व्वाकर्खिणी ३ सर्वाह्लादिनी ३ सर्व्वसंमोहिणी ३ सर्व्वस्तंभिणी ३ सर्व्ववेशकरणी ३ सर्व्वरजिणी ३ सर्व्वान्मादिणी ३ सर्व्वार्थसाधका ३ सर्व्वसंपत्तिपूरणी ३ सर्व्वासापूरिणी ३ सर्व्वमन्त्रमयी ३ सर्व्वद्वंदभयंकरी ३ श्रीरिपुरवासिनी देवी पादुकां पूजयामि ३ || मध्ये सर्व्वसिद्धिप्रदायिणी श्रीपादुकां पूजयामि ३ || संपदप्रदा ३ सर्व्वप्रीयंकरी ३ सर्व्वमंगलकारिणी ३ सर्व्वकामप्रदा ३ सर्व्वदुःखप्रमोचनी ३ सर्व्वमृत्युप्रसमिणी ३ सर्व्वविघ्ननिवारिणी ३ प्. १२ब्) सर्व्वावान्गसुन्दरी ३ सर्व्वसौभाग्य ३ श्रीत्रिपुरा पादुकां पूजयामि ३ | मध्यं त्रिकोणं पश्चिमादिप्राण दक्षिणे *? नायुधावरणं | ऐं द्रां द्रीं क्लीं ब्लूं सः ऐं यां रां लां वां सां जम्भनेभ्यः कामेश्व जवाणेभ्यो नमः | मोहनायकामेश्वर चापाय नमः ३ मोहन कामेश्वरी चापाय नमः ३ | वसीकरण चापाराय नमः ३ | स्तंभनकामी कुसाय नमः ३ | कामेश्वर्जन्मन्कुसाय नमः ३ ऐं क्लीं सौंः श्रीत्रिपुरात्मिका देवी पादुकां पूजयामि ३ | पुष्पाञ्जलि दत्वा || त्रिकोनांग्र दक्षिणकोणेषु कामेश्वर्यादिकमध्ये त्रिपुरसुन्दरी समर्प्ययेत् इति संपूष्प गन्धपुष्प धूप दीप नैवेद्यान् दद्यात् | दक्षिण प्. १३अ) वाम पूर्व्व पश्चिमदिग्स्थाणुषु बलिपात्राणि दद्यात् | वां वटुकनाथाय नमः | जां योगिणीभ्य स्वाहा | क्षां क्षेत्रपालाय नमः | गां गणपतये नमः | ३ || ह्रीं क्लीं सौंः | व || ह्रीं क्लीं श्रीं यो || ऐं क्लीं ह्स्रोंः क्षां क्षीं क्षूं क्षें क्षों क्षः हूं क्षेत्रपाल | ओं ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं ग्लौं गां गणपति || इति बलिमन्त्र || अन्तस्तेयो वहिस्तेयो एकीकृत्यासित द्विति त्रिधादेव्यं परिभ्राम्य तेन दीपनिवेदयत् समस्तचक्र चक्रेसि मूल देवी नयात्मकः आरार्त्तिकमिदं देवि गृहाण मम सिधये || तत मुलविद्यया श्रीमहात्रिपुरसुन्दरि अनेक विविध नैवेद्यं गृहान स्वाहा || यथासक्त्या मन्त्रं जपित्वा | गुह्यादि गुह्य गुप्तात्व गुहानास्मात्कृतं यप्त प्. १३ब्) शिद्धिर्भतुमयेन त्वत् प्रासादात् पुनस्थिते | अन्येन समर्प्य | मुद्रादशकं प्रद्रस्य | किमिति स्तोत्र पठित्वा | प्रणामं कृत्वा | घंटादि वाद्य निवेद्य | चुहुकेनात्मानं परमेस्वर्यं परिवारं बलिं विशर्यय || क्षमाप्य कामेश्वर्यादि देवीनां समयविद्यया सकृत् पुष्पाञ्जलिं विधाय | पुष्पाद्यलित्रयं निवेद्य | ततताचिन्मयी तेयो रूपं मण्डल स्थित्यं कुसुमण संसर्व? मुद्रया आघ्राय नासापुटेन ब्रह्मरंध्रं विनीय परमशिव सामरस्य प्राप्य | सुषुम्नया पथन मूलाधारमम्नीय जीवन्मुक्तो यथाविधि ग्रीहीत प्रसाद चरुक श्रीनाथ पादयो तंलीन मानस सुषंविहरेत् | इति श्रीमन्भगवन्महात्रिपुरसुन्दर्याया प्. १४अ) पद्धति समाप्ता || ओं नमो गणपतये || हसकलर ओं || करलह्री | सकलहरी || *? ओं ह्रीं श्रीं क्लीं ग्लूं गां गणपतये वरवरद सर्व्वजनमेव समानय स्वाहाः || चतुर्भुजे चन्द्रकलावतंसे कुचानते कुन्कुंमरागसोणे | * *? पासांकुस पुष्पवाहनं हस्ते नमस्ते जगदेक मातः || क ए ओं लहरीं ओं रीं स्क्ल्ह्रींः || को* * * * * * * * * * * * * * * * * * *? सा स * * * * * * *? सु *? म्य मणिकं कथमोष्ठे *? कन्ते रम्यं नमस्यतरहस्य गुरोपदेसः || औरुण व्रभयानतस्तनाभ्यो * *? तरं वपुषा सुगन्धि वाणै | मधुरंधन वामहस्तदद्यात् क्षपयानूर्तरमाक्षयाभिरामं || ओं श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं गं प्. १४ब्) ओं नमः श्री-उग्रचण्डाय नम || ओं तप्त काञ्चन* * * ** ** * ** ** * *** * * * * * कुण्डलाकारा केयुरामनिनो परे | रत्नमाला विदि * * * * * * * बलान्वितं | अष्टादश *? जाकान्ता *? नवक्त्र स्मरुहा | *? तथा चक्रं वज्रमन्कुसधरा शुभा | वरदण्डमनु * * * * *? हभ शूलपात्रस सोभिता | दक्षिनेन कराः * * * * * * * * * * *? धनुहस्तञ्च गदा घण्ठा शुसोभितं | पासं तर्ज्जनि हस्तञ्च षट्वान्ग केशपासकं * * * * * * * * * * * * * *? प्. १५अ) निर्ग्गतो दैत्य महाबल पराक्रमं | भेदयन्ति त्रिशूलेन विदिता शिरोरूहा | एवं ध्यात्वा महादेवी महाभ * * * * *? || * * * * * खा खो ह्र सहस्ताश्च खट्वान्ग डकरुना कृष्णनीला शुक्लश्चधुराकंविणा | रुद्रचण्डा प्रचण्डाश्च चण्डोग्रा * *? नायका | चण्डा चण्डवतीश्चैव चण्डरूपाति चण्डिका | रोचना अरुना कृष्णा नीला शूक्लाश्च धुमिका | पीता पाण्डराग्रेया आलिढस्था हरीस्थिता || स्वपरिवार समायुक्तं आयान्तं इह मण्डले || इति ध्यान समाप्त शुभं || प्. १५ब्) ओं देव देव महादेव || देवाना हितकारकं | इदानी श्रोतुमिच्छामि नवदूर्गामुनेश्वरं | पूजा ध्यानञ्च होमं छ्रुतप्य? * * * * * *? * * *? श्रोतुमिच्छामि सकलं कृपाकु महेश्वरः || ईश्वर उवाच || शृणु देवि महाभद्र सर्व्वमंत्रोत्तमोत्तमः | जापनीय? प्रयत्नेन * * * * *? नान्यथा || प्रथमं रुद्रचण्डा च ब्रह्माणी शक्ति रुच्यते | ओं ह्रीं हूं रुद्रचण्डा हूं ब्रह्मणी ह्रीं ज्वल २ ह्री स्वाहा | रक्त * * * *? जेष्ठ मुकुटधारिणी | शंख फेटकपालंञ्च शूल खट्वान्गधारिणी || महिसासन स्थिता देवी ब्रह्मादि सुखंविताः | एवं ध्यात्वा महा * * * * * * प्. १६अ) * शनी || त्रिकोणं चतुश्रं पञ्च चतुःपत्र सकर्णिकं | त्रिकोणं वामे वसि भैरवम | त्रिकोणे रक्षण्य देवी ब्रह्माणक * * * *? सि भैरवम् | त्रिकोणे * * * * *? कमलोत्तत? २ || त्रिकोनमग्रभूते संपूजयेत् सुरलोचनी || रुद्र * * * *? दन्गदेवता || जयाश्च विजयाश्चैव अजिता च पराजिता || पूजयेत् परत्मानि दले पद्म दले शुभे || सर्व्वविघ्ननिवारणी || अतः परं प्रवक्षामि | ओं श्रीं ह्रीं जूं २ प्रचट २ हूं २ महेश्वरी रक्ष २ ह्रीं एहि * * *? प्रचण्डानाम उच्यते प्. १६ब्) * * * *? प्रवक्षामि || चण्डोग्रा नाम सुव्रते || यथा || ओं * * * * * *? ग्रहस्थेसिना कौमारी *? स्वाहा || * * *? देवी वसुवाहु त्रिलोचनी शंख * *? ट कपालञ्च शूल तर्ज्जनि कार्मुकः | शरञ्चाभदन्देवी महिसासुर्मर्द्दनी | एते * *? महादेवी सर्वशौभाग्यदायिणी | वामे जया महादेवी दक्षिणे मपराजिता | अग्रे जया सुरेश *? पृष्टेनमपराजिता | * जयेत यथा न्याय पूजिताः सर्व्वदेवाता || ३ || ततः परं प्रवक्षामि पूजिताः चण्डनायिकाः || ओं ह्रीं जातश्च * *? प्. १७अ) श्च पूर्वाह्र पीतकोपरि वाससी | वृषाधिरूढा देवेसि जटामुकुटधारिणी || त्रिशूल डमरुश्चैव खट्वान्ग पानपात्रकंः | एवं ध्यात्वा महादेवी इष्टदार्थ प्रदायणी || ऋतुकोण ऋतुपत्रं चतुरश्र त्रिवेष्टितं | ऋतुकोणे महादेवी डकन्यादि प्रपूजयेत् || र्म्र्यूं श्म्र्यूं ल्म्र्यूं क्म्र्यूं स्म्र्यूं ह्म्र्यूं ऋतुपत्रे महादेवी पूजयेत् ऋतुदेवता | ग्रीष्मः पात्रः पूजम्योहेमंतशिशिरायत || यथा || श्लां त्रौं प्लौं ह्लौं ग्लौं म्लौं चतुरश्र महादेवी इद्राद्यादिशिदेवाताः | पूजयेत् परमेसानि वाञ्चितार्थ प्रदायणी || प्. १७ब्) गान्धारी वामभागे वदाक्षने च करालिका || अग्रे काली महादेवी पृष्ठे च भगमालिनी | पूजयेत् परमेसानि सर्व्वव्याधि * * * *? अतः परं प्रवक्षामि चण्डरूपा महाबलाः || ओं ह्रीं क्षीं दह २ कह २ घटय २ इन्द्रायनि हूं ज्वल २ धूं? स्वाहा || गजोपरिस्थितं हूं वाम * हु त्रिलोचनं | वज्रशक्ति गदण्डञ्च खड्गखेटक कामुकाः || गदा अन्कुश पाशञ्च अभय वरदन्तथा | शर तर्ज्जनी शूलञ्च ज्वल ज्वलत्पा *? लोचनंः || अगे मनोहरं देवी पृष्ठे चण्डवतीस्तथा | वामे प्रलम्भकाद्या च दक्षिणे देव कन्यकाः | पूजयेत् परमेशानि सर्व्वशत्रु * *? रिनी || अतः परं प्रवक्षामि चण्डिका कालमोचनी | ओं श्रीं जूं मृत्युहरे ख्म्फ्रे चामुण्डिके स्त्रीं हूं फट् स्वाहा || प्रेतासनसमारूढा प्. १८अ) हूं हूं हूं वैष्ण? वैष्णवी फट् स्वाहा || गरुण्डोपरिसंस्थिताः देवी चतुर्व्वाहु त्रिलोचनी | शंख चक्राभयवराः सुप्रसं नस्मिते * * * *? || एवं ध्यात्वा महादेवी कालमृत्युर्व्विनाशनी || पूर्व्वरति महादेवी दक्षिणे पीतवाससी || पश्चिमे वारुणी देवी उत्तरे तु गदाधरा || पूजयित्वा महादेवी नमस्कृत्य यथाविधिः || ४ || अत परं प्रवक्षामि चण्डावती सुरेश्वरी || यथा || ओं ह्रीं चण्डरोसनी ज्वल २ ह्रीं वाराहि ससमहाघोरे हूं फट् स्वाहा || महिसोपस्थितंन्देवी दसबाहुस्त्रिलोचनं | सर्व्वा डनण संयुक्तं नृकपालविभूषितं || खट कन्कोमुक खट्वान्ग कपालं वरदस्तथा | हलंञ्च मुशलंञ्चैव शरमभयमेव च || तर्ज्जनीञ्च महादेवी वराह * * * * * | प्. १८ब्) नया यत्र कुत्र स्थिता क्.एत्रोपपीठादिक्षु च कृतपद्म धूप दीपादिकेन प्रीतादेव्यः सदानं शुभबलिविधिना पातु वीरेन्द्र वंद्याः? पोशि? *? भ्य स्वाहा || ऐं ह्रीं श्रीं सर्व्वयोगिणीभ्यः सर्व्वभूतेभ्यः सर्व्वत्र पतिभ्यः त्रैलोकवासिनीभ्यो इष्ट? पूजाविलि गृह्न २ स्वाहा | शुक्लं? *? श्री? * *? क्षूं क्षें क्षीं क्ष हूं थान क्षेत्रपालेभ्यो धूप दीपादि पिशित बलिं गृह्न २ स्वाहा || ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं ग्लौं गं गणपतये वर * * * *? जन * *? वसमानय २ स्वाहा || इति बलिचतुष्टयं दत्वाः || जापन्कारयेत् || स्तोत्रं पठित्वा | नमस्कारे पुन पुन | शुभ * * * * * * * *? प्. १९अ) इति पूजाचक्रं || मूलेन गंध चन्दन दत्वा | पुष्पाक्षतं दत्वा | धूपः | वनस्पतिरसोत्पन्नं गंधा?ढ्यो गन्धमुत्तमं | आह्लादं सर्व्वदेवी * * *? य प्रतिगृह्नतां || दीपमन्त्रः || स्वप्रकाशो महातेजः सर्व्वत्र त्रिरापहः | सर्वाह्याभ्यंतरं ज्योति दीपोयं प्रतिगृह्नितां || मूलेन * * *? दत्वा || चक्रदक्षिणेः वामः || अग्रः || पृष्टष्ट || बलिपात्रं त्रिकोणे निधायथ || ऐं ह्रीं श्रीं वं वटुकभैरवाय नम || ह्रीं श्रीं क्षं क्षेत्रपालेभ्यो नमः || ह्रीं श्रीं गं गणपतये नमः || ऐं क्लीं सौंः देवीपुत्र वटुकनाथ कपिलजटाभरभासुरः त्रिणेत्र ज्वालामुख सर्व्वविघ्नानाशय २ सर्व्वा * * *? सहित बलिं गृह्न २ स्वाहा || ऐं ह्रीं क्लीं श्रीं ऊर्द्धब्रह्माण्डतो वा दिवि गगणभुवितले वा बूतले निष्कले वा पातले वा नाले वा सलिले * * * *? प्. १९ब्) ः || प्रथमे || कंः आत्मतत्वव्यापकाय त्रिपुरसुन्दरी पादुकां पूजयामि || नाभौ || हंः विद्यातत्वव्यापकाय विष्ट * * * * * * * * * *? मि || हृदये || संः शिवतत्वव्यापकाये त्रिपुरसुन्दरी पादुकां पूजयामि || शिरसि || कंः संः सर्व्वतत्वव्यापकाये त्रिपुरसुन्दरी पादुकां पूजयामि || सर्व्वान्गेषु || इति न्यासः || अर्घपात्र त्रिकोणे विचीन्त्यः || षडासनेन पूजाः त्रिकोणः अष्टकोणे कामेश्वरी पूज्य | दक्षिणे वज्रेश्वरी | वामे भगमालिनी | मध्ये त्रिपुरसुन्दरी पूज्यः | षडन्गेन पूजयेत् || इति अर्घपात्रपूजा || स्वशिरशि तथैव पू *? प्. २०अ) येत् | मूलमन्त्रेण त्रिवारं उचार्यैः नाडिकुण्डे होमयेत् || धूपः दीपादिकं कृत्वा मुद्रां पदर्शः इति अन्तर्यागपूजा || अथ जागमण्डपै द्वारदक्षिण वाम पूर्व्व मन्त्रेणः गणपतिः क्षेत्रपालपूज्य || ह्री श्रीं मत्रिशनाथाय पादुकां पूजयामि || ह्रीं श्रीं ओडीशनाथाय पादुकां पूजयामि || ह्रीं श्रीं षष्ठीसनाथाय पादुकां पूजयामि || ह्रीं श्रीं चर्याशनाथाय पादुकां पूजयामि || ईशानादि आग्नेयान्तं पूजयेत् || चतुर्दश द्वयः अष्टकोण त्रिकोण आसनषट्कं पूजयेत् || ह्सौ महात्रिपुरसुंदरी मूर्त्तये नमः | मध्ये मूर्त्ति * * * * * * *? पद्मा * * * * * * * *? प्. २०ब्) रुणा जवाकुसुमसंकासां दाडिवीकुसमोपमां || पद्मरागप्रतीकासा कुन्कुमोदेव * * *? | * * * * * * * * * * * * * * *? तां || कलालि कुलसंकासं कुटिलालकपल्लवां | प्रत्युग्रारुणशन्कासां वदनाभा * * * *? | * * * *? न्द्व कुटिल लालाटमृदुपट्टिकां | पिनाक धनुराकारः सुरूपं परमेश्वरी || आनमुदितोल्लोल लीलादोलित लोचनां | स्फुरन् मयुख संघातं वितता हेमकुण्डला | * * * *? मण्डलाम्भोगः जितेन्दुमृतमण्डलां | विश्वकर्मादि निर्मानि सूत्र सुष्टष्टनामिकां || ताम्रविद्रुमविम्बाम्भः रक्तोष्ठ्यममृतो पमः | स्मितमाष्टभ्य विजितः माधूर्य रशसागरां || अनौपम्य गुणोपेतः चिबुको देशशोभितां | कम्बुग्रीवा महादेवी मृणाल ललितै भुजैः || * *? त्पल दलाकार सुकुमार करांबुजां | प्. २१अ) कराम्बुजनखोजोति विजितास्तनभस्थलां || मुक्ताहार लतोपेतं समुन्नतः पयोधरां | त्रिबली बलनायुक्तं मध्यदेश सुसोभितां || लावण्यसरिदावर्त्ता कारणभि विभूषितां | अनघे रत्नघटितां क *? युक्त नितंबिनीं | न्तम्बविसृद्धि?रदोरोमराजी वरान्कुशां || कदली ललितम्भस्थः सुकुमारोरुमीश्वरी | लावण्य कदलीतुल्यं जंघायुगलमण्डितां || दृढगुल्फ पदः द्वन्द्व प्रपदाजितकरूपां | ब्रह्माविष्णुसिरोरत्नः निष्टष्ट चरणांबुजां || शीतांशु शतसंकासंः कान्ती सन्तान् हासिनीं | लोहिता * *? सिंदूरः जवाडाडिमराशिणीः || प्. २१ब्) रक्तवस्त्रपरिधाना पाशांकुश सरोद्यतां | रक्तप * * * *? ष्टरक्ता भरणभूषिताः || चतुर्भुजो * * *? च पञ्चवान धनुधरां | कर्प्पूर सकलोमित्रेः ताम्बूलापुरितानना || महामृग मदो दामः कुन्कुमारुणविग्रहां | सर्व्व * * *? वेसाद्या सर्व्वालन्कारभूषितां || जगदाह्लादजननी जगद्रञ्जनकारणीं | जगदाकर्षणकरी जगत्कारणभूषिणी || सर्वसंस्थ? म? स्म? देवी सर्व्वसौभाग्यसुन्दरी | सर्व्वलक्ष्मी मया नित्या परमानंदनन्दितां || इति स्थूलध्यानः || ह्सैं ह्स्क्लीं ह्सौंः महापद्मवन्दे * *? कारणानन्दविग्रहे | सर्व्वभूतहिते माते एक्यहि परमेस्वरी || अस्मिन्मण्डले सानिध्यं कुरु २ नमः || इति त्रिखण्डामुद्रायां * *? प्. २२अ) नं || स्थापनादिक पाद्य आचमन अर्घ उपचारादिकं कृत्वा || मूलमन्त्रेण त्र्यञ्जलि कृत्वा || अग्नेय ईशान ने-ऋत्य वायव्य हृदयादि मध्ये नेत्रः चतुर्दिक्षु अस्त्रं पूज्यं || ह्रीं श्रीं अनिमा सिद्धि पादुकां पूजयामि || पश्चिमे || ह्रीं श्रीं लघिमासिद्धि पादुकां पूजयामि || उत्तरे || ह्रीं श्रीं महिमासिद्धि पादुकां पूजयामि || पूर्वे || ह्रीं श्रीं इसित्वासिद्धिः पादुकां पूजयामि || दक्षिणे || ह्रीं श्रीं वसित्वासिद्धि पादुकां पूजयामि || वायव्ये || ह्रीं श्रीं प्राकाम्ययासिद्धि पादुकां पूजयामि || ईसाने || ह्रीं श्रीं भुक्तिसिद्धि पादुकां पूजयामि || अग्नये || ह्रीं श्रीं इच्छासिद्धि पादुकां पूजयामि || नै-ऋत्ये || ह्रीं श्रीं वससिद्धि पादुका पूजयामि || अर्द्धे || ह्रीं श्रीं मोक्षसिद्धि पादुकां पूजयामि || ऊर्द्धभागे || प्. २२ब्) ह्रीं श्रीं ब्रह्माणि देवी पादुकां पूजयामि || ह्रीं श्रीं माहेश्वरी देवी पादुकां पूजयामि || ह्रीं श्रीं कोमा?री देवी पादुकां पूजयामि || ह्रीं श्रीं वैष्णवी देवी पादुकां पूजयामि || ह्रीं श्रीं वाराही देवी पादुकां पूजयामि || ह्रीं श्रीं इन्द्राणी देवी पादुकां पूजयामि || ह्रीं श्रीं चामुण्डा देवी पादुकां पूजयामि || ह्रीं श्रीं महालक्ष्मी देवी पादुकां पूजयामि || एवं || ह्रीं श्रीं सर्व्वसंक्षो * *? मुद्रा देवी पादुकां पूजयामि || पश्चिमे || ह्रीं श्रीं सर्व्वविद्रावनीमुद्रा देवी पादुकां पूजयामि || उत्तरे || ह्रीं श्रीं सर्व्वाकर्षणीमुद्रा प्. २३अ) देवी पादुकां पूजयामि || पूर्व्वे || ह्रीं श्रीं सर्व्ववशकारणीमुद्रा देवी पादुकां पूजयामि || दक्षिने || ह्रीं श्रीं सर्व्वामादनीमुद्रा देवी पादुकां पूजयामि || वायव्यै || ह्रीं श्रीं महान्कुशामुद्रा देवी पादुकां पूजयामि || ईशाने || ह्रीं श्रीं खेचरीमुद्रा देवी पादुकां पूजयामि || आग्नेये || ह्रीं श्रीं त्रिखण्डामुद्रा देवी पादुकां पूजयामि || नै-ऋत्ये || ह्रीं श्रीं योनिमुद्रा देवी पादुकां पूजयामि || अध || ह्रीं श्रीं बीजमुद्रा देवी पादुकां पूजयामि || ऊर्द्धे || इति वाह्ये चतुरश्रमण्डले || अं आं सौंः त्रिपुरा देवी पादुकां पूजयामि || मध्ये || पूजयेत् || प्. २३ब्) ह्रीं श्रीं एताः प्रकटयोगिन्यः त्रैलोक्यमोहनीचक्रे समुद्रा ससिद्धया सामना सायुधा सवाहना सपरिवाराः सर्वोपचारष्टजितात्मस्तु || इति त्रैलोक्यमोहनीचक्रे || कुसुमाक्षतेन अर्घोदकेन मध्ये पूज्यः समर्प्ययेत् || अथ खोडसदले पूर्व्वादि वामावर्त्त क्रमेण पूजयेत् || ह्रीं श्रीं अं कामाकर्षणी नित्याकला देवी पादुकां पूजयामि || ह्रीं श्रीं आं बुद्ध्याकर्षणी नित्याकला देवी पादुकां पूजयामि || ह्रीं श्रीं इं अहंकाराकर्षणी नित्याकला देवी पादुकां पूजयामि || ह्रीं श्रीं ईं शब्दाकर्षणी नित्याकला देवी पादुकां पूजयामि || ह्रीं श्रीं उं स्पर्शाकर्षणी नित्याकला देवी पादुकां पूजयामि || ह्रीं श्रीं ऊं रूपाकर्षणी नित्याकला देवी पादुकां पूजयामि || प्. २५अ) ह्रीं श्रीं ऋं गन्धाकर्षणी नित्याकला देवी पादुकां पूजयामि || ह्रीं श्रीं ॠ रसाकर्षणी नित्याकला देवी पादुकां पूजयामि || ह्रीं श्रीं ऌं चिन्ताकर्षणी नित्याकला देवी पादुकां पूजयामि || ह्रीं श्रीं ॡं ध्यैयाकर्षणी नित्याकला देवी पादुकां पूजयामि || ह्रीं श्रीं एं वृत्याकर्षनी नित्याकला देवी पादुकां पूजयामि || ह्रीं श्रीं ऐं मध्याकर्षणी नित्याकला देवी पादुकां पूजयामि || ह्रीं श्रीं ओं जीवाकर्षणी नित्याकला देवी पादुकां पूजयामि || ह्रीं श्रीं औं आत्माकर्षणी नित्याकला देवी पादुकां पूजयामि || ह्रीं श्रीं अमृताकर्षणई नित्याकला देवी पादुकां पूजयामि || ह्रीं श्रीं अः सरीराकर्षणी नित्याकला देवी पादुकां पूजयामि || ह्रीं क्रीं सौंः त्रिपुरेश्वरी पादुकां पूजयामि || मध्ये पूज्य || एता गुप्तयोगिणी सर्वासा पूरणीचक्रे समुद्रासासना सवाहनाः प्. २५ब्) सायुधा अ * * * * * *? भ्य सन्तु || कुसमाक्षत अर्घादिकेन मध्ये पूजा सम * * *? || इति सर्व्वासापुरिणी * *? || अथाष्टदलो चाष्टर्वादि उत्तरान्त दले पूजयेत् || ह्रीं श्रीं अनन्गकुसुमा देवी पादुकां पूजयामि || ह्रीं श्रीं चं अनंगमेषला देवी पादुकां पूजयामि || ह्रीं श्रीं टं अनन्गमदना देवी पादुकां पूजयामि || ह्रीं श्रीं तं अनन्न्गमदनातुरा देवी पादुकां पूजयामि || पुनः आवृत्या? * * * * * *? दि ईशानान्तं || ह्रीं श्रीं पं अनन्गरेखा देवी पादुकां पूजयामि || ह्रीं श्रीं यं * *? देवी पादुकां पूजयामि || ह्रीं श्रीं शं * *? ङ्गान्कुशा देवी पादुकां पूजयामि || ह्रीं श्रीं क्षं अनन्गमालनी देवी पादुकां पूजयामि || ह्रीं श्रीं * * * * * * * * * * * * *? प्. २६अ) मध्ये || कुशुमान्जलिं || इत्येता गुह्ययोगिण्यः सर्व्वसंक्षोभचक्रे समुद्रा ससिद्धये सासनी सायुधा सवाहणाः सर्व्वोपचारेण * *? जिता सन्तु || इति संक्षोभचक्रे || पुनश्चतुर्दशकोणे || ह्रीं श्रीं सर्व्वसंक्षोभशक्ति पादुकां पूजयामि || ह्रीं श्रीं सर्व्वविद्रावनीसक्ति पादुकां पूजयामि || ह्रीं श्रीं सर्व्वाकर्षनीशक्ति पादुकां पूजयामि || ह्रीं श्रीं सर्व्वाह्लादनीसक्ति पादुकां पूजयामि || ह्रीं श्रीं सर्व्वमोहनीशक्ति पादुकां पूजयामि || ह्रीं श्रीं सर्व्वस्तंभणीशक्ति पादुकां पूजयामि || ह्रीं श्रीं सर्व्वसन्कारिणीशक्ति पादुकां पूजयामि || ह्रीं श्रीं सर्व्व * * * *? शक्ति पादुकां पूजयामि || ह्रीं श्रीं सर्व्वोन्मादनीशक्ति पादुकां पूजयामि || ह्रीं श्रीं सर्व्वार्थसाधकीशक्ति पादुकां पूजयामि || प्. २६ब्) ह्रीं श्रीं सर्व्वसंपत्तिपूरणीशक्ति पादुकां पूजयामि || ह्रीं श्रीं सर्व्वासापूरणीशक्ति पादुकां पूजयामि || ह्रीं श्रीं सर्व्वमेत्रीशक्ति पा * कां पूजयामि || ह्रीं श्रीं सर्व्वद्वन्दक्षयन्करीशक्ति पादुकां पूजयामि || ह्रीं श्रीं हें यर्व्लीं ह्सौं त्रिपुरवासनी पादुकां पूजयामि || मध्ये || पुष्पाञ्जलि || एता संप्रदार्थकर्मः योगिण्यः सर्व्वसंपत्तिप्रदापात देवीचक्रे पूर्व्ववत् || इति सर्व्वसौभाग्यकरे चक्रे || दशकोणे पूर्व्वादि वामावर्त्तनं || ह्रीं श्रीं सर्व्वसिद्धिप्रदा देवी पादुकां पूजयामि || ह्रीं श्रीं सर्वसंपतिप्रदादेवी पादुकां पूजयामि || ह्रीं श्रीं सर्व्वप्रियंकरी देवी पादुकां पूजयामि || ह्रीं श्रीं सर्व्वमन्गलवारणी देवी पादुकां पूजयामि || ह्रीं श्रीं सर्व्वकामप्रदा देवी पादुकां पूजयामि || ह्रीं श्रीं सर्व्वदुखविमोचनी देवी पादुकां पूजयामि || प्. २७अ) ह्रीं श्रीं सर्व्वमृत्युप्रनासनी देवी पादुकां पूजयामि || ह्रीं श्रीं सर्व्वविघ्ननिवारनी देवी पादुकां पूजयामि || ह्रीं श्रीं सर्व्वान्गसुन्दरी देवी पादुकां पूजयामि || ह्रीं श्रीं सर्व्वसौभाग्यकरिनी देवी पादुकां पूजयामि || ह्रीं श्रीं ह्सौं ह्स्व्लीं ह्सौंः त्रिपुराश्री देवी पादुकां पूजयामि || मध्येः || पुष्पाक्षतानि || एता कुलकेलिनी योगिण्यः सर्व्वार्थसाधकचक्रे || समुद्रा पूर्व्ववत् || इति सर्व्वार्थसाद्धक चक्र || पुनदसारे || ह्रीं श्रीं सर्व्वसिद्धिप्रदा देवी पादुकां पूजयामि || ह्रीं श्रीं सर्व्व * *? प्रदा देवी पादुकां पूजयामि || ह्रीं श्रीं सर्व्वसून्यप्रदा देवी पादुकां पूजयामि || ह्रीं श्रीं सर्व्वज्ञानप्रदा देवी पादुकां पूजयामि || ह्रीं श्रीं सर्व्वव्याधिहरा देवी पादुकां पूजयामि || ह्रीं श्रीं सर्व्वा प्. २७ब्) धारस्वरूपानी देवी पादुकां पूजयामि || ह्रीं श्रीं सर्व्वपापहरा देवी पादुकां पूजयामि || ह्रीं श्रीं सर्व्वानन्दमया देवी पादुकां पूजयामि || ह्रीं श्रीं सर्व्वरक्षस्वरूपणी देवी पादुकां पूजयामि || ह्रीं श्रीं सवे स्थित फलप्रदा देवी पादुकां पूजयामि || ह्रीं क्लीं ब्लीं त्रिपुरामालिनी देवी पादुकां पूजयामि || मध्ये | पुष्पाञ्जलिः || एतानि गर्भयोगिण्यः सर्व्वरक्षाकरे चक्रे || पूर्व्ववत् || अथाष्टकोणेषु पूजयेत् || ह्रीं श्रीं अं १६ ब्लीवसनी वाग्देवताये पादुकां पूजयामि || ह्रीं श्रीं कं ५ क्ल्ह्रीं कामेस्वरी वाग्देवतायै पादुकां पूजयामि || ह्रीं श्रीं चं ५ न्व्लीं वाग्देवतायै पादुकां पूजयामि || ह्रीं श्रीं टं ५ प्लूं विमला वाग्देवतायै पादुकां पूजयामि || ह्रीं श्रीं तं ५ ज्म्रीं अरुणा वाग्देवतायै पादुकां पूजयामि || प्. २८अ) ह्रीं श्रीं पं ५ ह्च्लूं जयनी वाग्देवतायै पादुकां पूजयामि || ह्रीं श्रीं यं ४ घ्म्रीं सर्व्वैश्वरी वाग्देवातायै पादुकां पूजयामि || ह्रीं श्रीं श ५ क्ष्म्रीं कोलिनी वाग्देवतायै पादुकां पूजयामि || पूर्व्वादि वामावर्त्तन पूजयेत् || ह्स्रैं ह्स्क्ल्ह्रीं ह्सौंः त्रिपुरा वागेश्वरी पादुकां पूजयामि || मध्ये पुष्पाञ्जलिः || एता रहस्य देवता सर्व्वरोगहरे चक्रे पूर्व्ववत् || इति सर्व्वरोगहरे चक्रे || अथ त्रिकोणवाह्ये || पश्चिमादि वामावर्त्तन आयुधः देवी पूजयेत् || ऐं यां रां लां वां सां द्रां द्रीं क्लीं ब्लूं सः जंभनेभ्यः कामेश्व * * *? दुकां पूजयामि || ऐं यां रां लां वां सां द्रां द्रीं क्लीं ब्लूं सः ऐं यां सं लां वां सां जभनेभ्यः कामेश्वरी वाणेभ्यः पादुकां पूजयामि || पश्चिमे || ऐं यां * * * * * *? प्. २८ब्) द्रां द्रीं * * * * * * * *? पादुकां पूजयामि || * * * * * * * * * * * * * * * * * * * *? भो पादुकां पूजयामि || उत्तरे || ऐं यां लां वां शां ऐं द्रां द्रीं क्लीं ब्लूं सः ह्रीं वशीकरनाय कामेश्वर * * *? पादुकां पूजयामि || ऐं द्रां द्रीं * * * * *? रां लां वां शां ह्रीं वशीकरणायः कामेश्वरीपाशेभ्यः * *? पादुकां पूजयामि || पूएव्वे || ऐं षां मला *? || ऐं द्रां द्रीं क्लीं ब्लूं सः * * * * * *? रः अंकुसाय पादुकां पूजयामि || ऐं द्रां द्रीं क्लीं ब्लूं सं यां रां लां वां सां ह्रीं स्तम्भनेभ्यः कामेश्व * * *? पादुकां पूजयामि || ऐं क्लीं सौः त्रिपुराम्बिका देवी पादुकां पूजयामि || त्र्याञ्जलिः || * * मध्ये त्रिकोणाग्रे प्रथमबीजं || वामकोणे * *? बीजः प्. २९अ) दक्षिणकोणे तृतियाबिजं || मध्ये मूलबीजं || मृतोः अतिरहस्य देवता सर्व्वसिद्धिमये चक्रे समुद्रा सासना सवाहना सपरिवाराः सर्व्वोपचारे पूजिता सन्तु || मूलमन्त्रमुचार्य सर्व्वानन्दमये चक्रेन्नैदवे परं ब्रह्मात्मश्वरूपीनी परमामृतश्वशक्ति सर्व्वचक्रेश्वरी सर्व्वमन्त्रेश्वरी सर्व्वविद्धेश्वरी सर्व्ववीरेश्वरी सर्व्वपीठेश्वरी || सर्व्वयोगेश्वरी सर्व्ववागेस्वरी सर्व्वसिद्धेश्वरी जशव्रत?प्रति मातृकासना चक्राशनं देवता समुद्रा ससिद्धया सायुधाः सोसनाः सवाहनाः सपरिवारा महात्रिपुरसुन्दरी देवी परा * *? अपराया | परापर्या सर्व्वोपचारे पूजिता संतु || पुष्पाक्षत मध्ये पूजा || प्. २९ब्) नमोश्री? शुभं || ओं अनन्तासनाय नमः | ब्रह्मणे नमः | ऊर्द्धाधं | ओं ह्रः अस्त्राय फट् अर्घपात्र प्रक्षालनं | गन्गा गोदावरी सिन्दु नर्म्मदा जमुनास्तथा | कौसिकी गण्डकी पुन्या आगच्छ तु जले निमां? | चक्र | तत्र ओं रं अग्नये दशकालात्मने नमः ओं अं आदित्याय द्वादशकलात्मने नमः | ओं सं सोमाय षोद्र सकलात्मने नमः | तदुपरि अर्घपात्र धृत्वा तीर्थजलेनापूज्य | अग्निसोम सूर्य क्रमेण जले | ओं गुरुभ्यो नमः ओं परमगुरुभ्यो नमः ओं परमात्मगुरुभ्यो नमः ओं परमेष्ठीगुरूभ्यो नमः ओं सदाशिवगुरुभ्यो नमः | तत्व ३ पूययेत् | मुद्रा प्रद्रस्य | सकलीकृत्य | तयलेनात्मानं मभिक्षिद्य | गुडया पुष्पैक मादाय अर्घ ध्यायेत् अग्निमण्डलमध्यस्तं सूर्यमण्डल पापहंतः मध्ये चिन्तये नित्यं सु *? पूर्णेन्दुमण्डलं | शिवाहमितिभाव्य तत्पुष्पं शिरसि धारयेत् || यथार्घेन तथा स्वशिरशं || गतित्सर्षपात्र प्रकरणं सर्वत्र प्. ३०अ) ओं अनन्ताय नमः ओं ब्रह्मणे नमः || ततः सप्तविधा *? भगवती ********* ########### END OF FILE #######